Searching for Love
छींक आई तो मम्मी ने बोला, “अपना ख्याल रखो!”
मैंने झट से गुस्से में जवाब दिया, “रखती तो हूं! और क्या करूं? जब देखो मुझे समझती रहती हो!!”
रात को क्लास से आते देर हो गई तो पापा ने फोन करके पूछा, “बेटा कहां पर हो?”
मैंने मुँह बनाया और बोला, “थोड़ी आज़ादी तो दो ना पापा!”
हर बार दादाजी का कॉल आता है तो वो यहीं कहते हैं कि कभी-कभी कॉल कर लिया करो।
उनको समझ में क्यों नहीं आता कि मैं कितनी व्यस्त हूं?
उनको समझ में क्यों नहीं आता कि मैं कितनी व्यस्त हूं?
शादी हुई, सासूमाँ ने फोन कर के पूछा, “आज नाश्ते में क्या बना है?”
मैंने लंबी सास ले कर सोचा, “अरे! मुझे मेरी रसोई चलाने दो!”
रात को थक कर सोने गई तो पति ने बोला, “इतना काम क्यों करती हो? थोड़ा आराम कर लिया करो।”
मैं इरिटेट हो कर बोली, “तुम तो यही चाहते हो कि मैं नौकरी छोड़ दूं और घर पर बैठके तुम्हारी सेवा करूं।”
रोज़ रात को सोने से पहले, बेटा कहता है कि मुझे कहानी सुनाओ
पूरा दिन निकल गया उसके लिए काम करते-करते, अब कहानी का समय कहां से निकालूं?
पूरा दिन निकल गया उसके लिए काम करते-करते, अब कहानी का समय कहां से निकालूं?
मुझे ऐसा क्यों लगता है, कि सब रिश्ते हाथ धो कर मेरे पीछे पड़े हैं? सब लोग मुझे जीने क्यों नहीं देते? सब लोगों को मेरी गलतियाँ ही क्यों दिखती हैं?
मुझे कोई प्यार क्यों नहीं करता?
Small conversations going in my head since some days – some mine, some overheard from others. Makes me realize why some of us always keep searching for love even when it was and is all around us.